रसना भीगी नेह से, बोले मधुमय बैन!
छौना नन्हा लाड़ला , मेरे मन का चैन!!
जिव्हा वाकी तोतली , मीठे लागे बैन!
घुटने घुटने डोलता, किलक किलक दिन रैन !!
अधर धरी थी बाँसुरी, मूँदे दोनों नैन !
बिन बोले ही कह गये, रसना जैसे बैन !!
ये रसमाता रसभरी, रसिक बनी ललचाय !
भाँति भाँति के स्वाद ले ,रस रसज्ञ कहलाय !!
रस दीवानी लालची, मीठी औ नमकीन !
कड़वे बोल सुनाय के, कैसी बनती दीन !!... ''तनु''
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