Labels

Wednesday, May 23, 2018

रसना


रसना भीगी नेह से, बोले मधुमय बैन! 
छौना नन्हा लाड़ला , मेरे मन का चैन!!

जिव्हा वाकी तोतली , मीठे लागे बैन! 
घुटने घुटने डोलता, किलक किलक दिन रैन !!

अधर धरी थी बाँसुरी, मूँदे दोनों नैन !
बिन बोले ही कह गये, रसना जैसे बैन !!

ये रसमाता रसभरी, रसिक बनी ललचाय !
भाँति भाँति के स्वाद ले ,रस रसज्ञ कहलाय !!

रस दीवानी लालची,  मीठी औ नमकीन !
कड़वे  बोल सुनाय के, कैसी बनती दीन !!... ''तनु''

No comments:

Post a Comment