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Friday, August 21, 2020

अपने मन को न यूँ अधमरा कीजिये


अपने मन को न यूँ अधमरा कीजिये!
मानिये प्राणायाम जरा कीजिये !!

साँस का बंधन यूँ थोड़ा सा योग !
जैसा कहते वैसा करा कीजिये !!

रोज़ सुबह सूरज उगने के पहले !
उठिये गहरी साँसें भरा कीजिये !!

ये क्या कि थोड़े में थक क्यों गए हो !
अजी अधिक खाने में डरा कीजिये !!

मुरझाया सा तन लालिमा से भरे !
योग से सींचिये जी हरा कीजिये !!

हर जगह न मिले नामचीं चारागर !
योग अपनाइये तज़किरा कीजिये !!

इक तंदुरुस्ती है हज़ार नियामत !
आसन से जीवन सुनहरा कीजिये !!... ''तनु''

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