अपने मन को न यूँ अधमरा कीजिये!
मानिये प्राणायाम जरा कीजिये !!
साँस का बंधन यूँ थोड़ा सा योग !
जैसा कहते वैसा करा कीजिये !!
रोज़ सुबह सूरज उगने के पहले !
उठिये गहरी साँसें भरा कीजिये !!
ये क्या कि थोड़े में थक क्यों गए हो !
अजी अधिक खाने में डरा कीजिये !!
मुरझाया सा तन लालिमा से भरे !
योग से सींचिये जी हरा कीजिये !!
हर जगह न मिले नामचीं चारागर !
योग अपनाइये तज़किरा कीजिये !!
इक तंदुरुस्ती है हज़ार नियामत !
आसन से जीवन सुनहरा कीजिये !!... ''तनु''
No comments:
Post a Comment