सादगी थी जलाल था, क्या था ?
नूर का वो जमाल था, क्या था ?
आँख से मय, लब मिसरी, उसके,
थी नज़ाकत, कमाल था, क्या था ?
बेहिसाब इश्क़ के हिसाबों का,
लम्हा लम्हा गुलाल था, क्या था ?
ख़ुश्क प्याले शराब थे साहिब ,
एक आलम मिसाल था, क्या था ?
पुरसुकूं मंजर था निगाहों में ,
ख़ुद ख़ुदा ही इक़बाल था, क्या था ?
जाने इतने सवाब कब होंगे ,
दाव था बहरहाल था, क्या था ?
रंग निखरा रहा जवा दिल का,
के ज़मीर बेमिसाल था, क्या था ?
क्यों जियादा जिया ज़ियारत में,
नेक ही तनु ख़याल था, क्या था ? .... ''तनु''
No comments:
Post a Comment