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Friday, December 13, 2013

सिगड़ी



'सिगड़ी' ...




बीते दिनों की याद 'सिगड़ी' .......

यादों के दौर, 

ठहाकों के दौर..

बड़ा दर्द दिल में सम्हाले है 'सिगड़ी'...

भून भुट्टे,


भून होले मूंगफली

..
न जाने कितनों का पेट पाले है 'सिगड़ी'...

सर्दी में 'कांगड़ी'

,
पार्टी का बारबेक्यू

.
सर्द रात में अलाव सा जागे है 'सिगड़ी' ...

अपनों की प्यास,


परायों की आस

..
बुझनें के बाद चुपके से क्यों चमके है 'सिगड़ी'... 


-तनुजा 'तनु'

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