'सिगड़ी' ...
बीते दिनों की याद 'सिगड़ी' .......
यादों के दौर,
ठहाकों के दौर..
बड़ा दर्द दिल में सम्हाले है 'सिगड़ी'...
भून भुट्टे,
भून होले मूंगफली
..
न जाने कितनों का पेट पाले है 'सिगड़ी'...
सर्दी में 'कांगड़ी'
,
पार्टी का बारबेक्यू
.
सर्द रात में अलाव सा जागे है 'सिगड़ी' ...
अपनों की प्यास,
परायों की आस
..
बुझनें के बाद चुपके से क्यों चमके है 'सिगड़ी'...
-तनुजा 'तनु'
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