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Sunday, December 22, 2013
सांस..........
साँस ..........
ये.... उड़ गये सूखे पात से स्वप्न
और लो.... ये ढह गये रेत के महल
उड़ाने में हवा,
ढहाने में हवा,
सांस...
ये सांस,
क्यों चल रही है ..........तनुजा .. 'तनु' 03-12-2011
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