Labels

Sunday, December 8, 2013

शब्द ..


शब्द 


शब्द , 
शब्दों को बुनकर.
वाक्य बनाये 
किसी विषय पर.
और ,
उछाल दिये पन्नों पर .
चिन्हित हुए मन पर . 
अच्छा या बुरा भाव लिये, 
ज़ार ज़ार रुलाया..
खुश हो हँसाया..
और, 
फिर शब्द ,
शब्द हो बिखर गये 

शब्द 
शब्द ये चुने हुए
रचे हुए पोथी में 
कहे हुए किसी के 
और 
रच बस गए 
मन पर चरित्र पर
सँवार दिया जीवन को 
निर्मल किया मन को
और  
फिर शब्द  
शब्द हो निखर गए 

शब्द 
शब्द की 
पहचान से 
वाक्य को 
अभिमान से 
उठाये और सजा लिए 
गीत ग़ज़ल में 
कथा सरोवर में 
साहित्य के सागर में 
जो थे पड़े
और 
फिर शब्द 
शब्द हो निकर गए 

 शब्द 
घुलते ये मिश्री से 
प्रीत को 
प्रतीति दे 
और 
मोह को ममत्व दे 
कलुष को
 खार दे
 क्रोध को ज्वार दे 
चुभते, प्रताड़ित करते 
ये थे लड़े 
और 
फिर शब्द
शब्द हो कीकर गए 

शब्द 
फिसलते से 
ध्यान को खोते हैं 
अभिमान को बोते हैं 
और 
नयनों में चमक ला 
गर्वीले भाव से 
छोटे से गाँव से आ 
भावना को खोकर 
फटे हुए चीथड़ों 
को बदल चमकीले 
और
फिर शब्द 
शब्द हो चिकर गए !!... तनुजा ''तनु ''

















..............

No comments:

Post a Comment