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Thursday, December 19, 2013

मन गाये है

ऊपर वाला बड़ा खिलंदर
वही रचे कुछ सुन्दर् सुन्दर
सुरों की डफली बजनें दे
मन गाये है गाने दे 
क्योंकि ,
मन मस्ती है अति निडर 
मन कश्ती है ढूंढे डगर 
आशा के पंख पसरने दे
मन उड़ता है उड़ने दे
क्योंकि ,
मन की कामना है अति सुन्दर 
पाप हो न कोई  भूलकर 
शंख घडियाल बजने दे 
मन झूमें है झूमने दे 
क्योंकि ,
अनहद हो मन के अंदर 
निर्मल हो मन का मंदिर 
धरती आकाश को मिलने दे
मन बोले है बोलने दे  
क्योंकि ,
मन गाये है
मन झूमें है 
मन उड़े है 
मन बोले है !!!... तनुजा ''तनु'' 

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