आग तन से निकल न जाए कहीं !
भूख फिर ये निगल न जाए कहीं !!
अब तो आँखों पे टिकी जाती है !
जान आँखों को छल न जाए कहीं !!
कौन किसको करे निवाला फिर !
कोई खा कर बदल न जाए कहीं !!
कौन सोचे है जो ये सोचेगा ?
वक्त हाथों फिसल न जाए कहीं !!
आदतें सब हुई अजी बिगड़ी !
और पल कर बहल न जाए कहीं !!
नोच डालूँ पलक झपकते ही !
झपटते घात टल न जाए कहीं !!
क्रोध आँखों लिए जला जाता है !
''तनु'' ये सूरज पिघल न जाए कहीं !!....''तनु''
अब तो आँखों पे टिकी जाती है !
जान आँखों को छल न जाए कहीं !!
कौन किसको करे निवाला फिर !
कोई खा कर बदल न जाए कहीं !!
कौन सोचे है जो ये सोचेगा ?
वक्त हाथों फिसल न जाए कहीं !!
आदतें सब हुई अजी बिगड़ी !
और पल कर बहल न जाए कहीं !!
नोच डालूँ पलक झपकते ही !
झपटते घात टल न जाए कहीं !!
क्रोध आँखों लिए जला जाता है !
''तनु'' ये सूरज पिघल न जाए कहीं !!....''तनु''
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