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Thursday, December 26, 2019

आग तन से निकल न जाए कहीं !
भूख फिर ये निगल न जाए कहीं !!

अब तो आँखों पे  टिकी जाती है !
जान आँखों को छल न जाए कहीं !!

कौन किसको करे निवाला फिर !
कोई खा कर बदल न जाए कहीं !!

कौन सोचे है जो ये सोचेगा ?
वक्त हाथों फिसल न जाए कहीं !!

आदतें सब हुई अजी बिगड़ी !
और पल कर बहल न जाए कहीं !!

नोच डालूँ पलक झपकते ही !
झपटते घात टल न जाए कहीं !!

क्रोध आँखों लिए जला जाता है !
''तनु'' ये सूरज पिघल न जाए कहीं !!....''तनु''


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