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Saturday, July 25, 2020

मनवा घायल चैन कहाँ,

घायल मनवा चैन कहाँ,     रिसते सगले घाव,
रसना के रस गुम हुए ,        बैरी मन के चाव!
दिन रुकता न रात रुकी, पल की क्या है बात ,,
कर्मो की बिसात बिछी,   अब विधना के गाँव!--''तनु''

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