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Saturday, June 12, 2021

मुट्ठियाँ लहरा कर हवा में लगा रहे नारे हैं

मुट्ठियाँ लहरा कर हवा में लगा रहे नारे हैं;
उम्मीद में अच्छे दिनों की जगा रहे धारे हैं!

टालते जो हैं सवालों को वो देश के दुश्मन;
दिवस झुलसा जूझती रैना भगा रहे तारे हैं!

खौफ लेकर हम कज़ा का जीते जमाने में;
उठा जनाज़ा कहीं अर्थियाँ सजा रहे सारे हैं! 

तू तसल्ली दे, दिलासा दे, और दे दुआ बहुत;
मंज़िल की तरह हादसे क्यों ठहर रहे कारे हैं !

लोग फूलों के जैसे पर क्यों हाथों में है पत्थर;
लेकर मकसद अँधेरे का विधि के रहे मारे हैं!

कब ख़ुशी बाँटोगे तुम सदा ही घर जलाये हैं;
सब जला देंगे हाथों''तनु''जलते हुए अंगारे हैं !.....''तनु''


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