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Sunday, June 6, 2021

मैंने सुंदर से ख्वाब ही चाहे

मैंने सुंदर से ख्वाब ही चाहे ;
फ़िर कहीं कुछ गुलाब ही चाहे ! 

जिंदगी से सवाल था मेरा ;
अच्छे से कुछ जवाब ही चाहे !

आदत बुरी, नहीं जफ़ा देखूँ ;
और ना कभी सराब ही चाहे !

रात दिन एक कर के मैंने तो ;
तने मुझमें खिताब ही चाहे !

अंधियारा कहीं नहीं देखूँ ;
 उजियारे बे-हिसाब ही  चाहे !

एक दरिया मिला मुझे मीठा ;
कौन धारे ख़राब ही चाहे !!

'तनु' इंतज़ार अभी ख़ुशी का है;  
कौन पागल अज़ाब ही चाहे !!..... ''तनु''


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