दीवार
आँखों में है खून बातों में शिकवे - गिले हुए ;
दूरियाँ बहुत , कहाँ अब हमारे दिल मिले हुए ?
दाँत काटी रोटियाँ थी नेह नयन भर' नीर था , ,,
उठ गयी दीवार ख़त्म अब सारे सिलसिले हुए !!
आँखों में है खून बातों में शिकवे - गिले हुए ;
दूरियाँ बहुत , कहाँ अब हमारे दिल मिले हुए ?
दाँत काटी रोटियाँ थी नेह नयन भर' नीर था , ,,
उठ गयी दीवार ख़त्म अब सारे सिलसिले हुए !!
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