दीदार
सुनालूँ आज दिल की जो मेरी ही तरह है;
आरसी के मानिंद है वो वफा की तरह है !
दिल में उसके हैं बहुत से रंगीन ख्याल, ,,
दीदार उसका कर भी लूँ जो खुलती गिरह है !!
सुनालूँ आज दिल की जो मेरी ही तरह है;
आरसी के मानिंद है वो वफा की तरह है !
दिल में उसके हैं बहुत से रंगीन ख्याल, ,,
दीदार उसका कर भी लूँ जो खुलती गिरह है !!
No comments:
Post a Comment