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Saturday, October 17, 2015

दीदार 

सुनालूँ आज दिल की जो मेरी ही तरह है;
आरसी के मानिंद है वो वफा की तरह है !
दिल में  उसके हैं बहुत से रंगीन ख्याल, ,,
दीदार उसका कर भी लूँ जो खुलती गिरह है !!

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