दीवार
दीवार पर उग आई है, दूब कुछ और ;
कैसी बदरिया छाई है , ऊब कुछ और ??
हवा के दोश पर रहा है आशियाना , ,,
शाम जिंदगी की आई है, खूब कुछ और !
दीवार पर उग आई है, दूब कुछ और ;
कैसी बदरिया छाई है , ऊब कुछ और ??
हवा के दोश पर रहा है आशियाना , ,,
शाम जिंदगी की आई है, खूब कुछ और !
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