शिव भोले भंडारी
वो जटाएँ कमाल रखते हैं !
पेंच ख़म में सवाल रखते हैं !!
पेंच ख़म में सवाल रखते हैं !!
नाग तम के जकड कर पाश में !
शीश शशिधर जमाल रखते हैं !!
भूल जाते बहुत बहुत भोले !
भूल जाते बहुत बहुत भोले !
नाम लेकर मलाल गलते हैं !!
लो चुग रहे हैं जहर भरे मोती !
पाप मोचन न' मराल थकते हैं !!
तीसरा नेत्र जो खुले भी तो !
जान लो जग, बवाल जलते हैं !!
जाप शिव का करो नित मनन कर !
सकल जग दुःख भगवान' हरते हैं !!… तनुजा ''तनु ''
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