भोलू जी की हड़बड़ी,
हड़बड़ी में गड़बड़ी;
करते काम सारे झटपट
होती रहती है खटपट , ,,
फिर चाहे बिगड़े बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी,
कितनी बार उन्हें बतलाया;
सब्र से सब्र समझाया,
करो काम योजना बनाकर
जतन से मन लगाकर , ,,
नहीं तो फिर खिल्ली उड़ी ,
हो जाए बिगड़ी बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी!
कहीं भी यूँ ना चल पड़ो;
किसी पर भी ना उबल पड़ो ,
दिमाग से कुछ काम तो लो
समझो बूझो औ मुँह खोलो , ,,
बनों ना आँख की किरकिरी ,
ऐसे ही सुधरे बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी!
कभी भोलू जी थे नादान ;
अब नहीं बनते अनजान,
सोच समझ कर कदम बढ़ाते, ,,
मन लगाकर काम बनाते
हुईं पार उलझनें बड़ी ,
दी परीक्षा कड़ी कड़ी ,
भोलू जी की हड़बड़ी!
देखो सारे काम बन गए ;
भोलू जी के दाम बढ़ गए ,
धीरज से करते सब काम
हड़बड़ भोलू नहीं बदनाम , ,,
करते नहीं अब हड़बड़ी,
सुधरी कैसे देखो बिगड़ी,
भोलू जी की हड़बड़ी!.... ''तनु''
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