लूँ समेट चादर अपनी रात थोड़ी है अभी ;
बात से फिर क्यों विदा लूँ बात थोड़ी है अभी !
चाँद तारों का डोला छुपा दिया है भोर ने ;
आ रही जो किरणों की सौगात थोड़ी है अभी !
मुस्कुराना ख़ुशियों में भी भूलता मैं जा रहा ;
चुपके ही चुपके नज़रों की घात थोड़ी है अभी !
राजदाँ थे तुम अदू हुए कब रुकोगे आँसुओं ;
दरिया दिल तू जान ले बरसात थोड़ी है अभी !
पूछना मत तुम कभी मेरी बेताबी का हाल ;
मयस्सर होने लगी इल्तिफ़ात थोड़ी हैं अभी !... ''तनु''
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