कितने झूठे रंग हैं, कितने झूठे रूप !!
चोरी करते शान से , बनते थानेदार !
सिंह समझे थे हम जिसे, निकले रँगे सियार !!
सिंह समझे थे हम जिसे, निकले रँगे सियार !!
सबके अंतर विष यहाँ, अमिय बोल रसधार
सदाचरण हैं भूलते, करते हैं व्यभिचार !!
गर्दन पर तलवार रख, मनवाये हर बात !
जोड़ूँ जिससे तार मैं , वही कर जाय घात !!
कर्ज में डूबे रहते, हैं देश के किसान !
सारे बहरे लोग हैं, गूंगा सब संसार !
निर्बल जन इस जगत में,किससे करें गुहार !!----'तनु'
सदाचरण हैं भूलते, करते हैं व्यभिचार !!
गर्दन पर तलवार रख, मनवाये हर बात !
जोड़ूँ जिससे तार मैं , वही कर जाय घात !!
कर्ज में डूबे रहते, हैं देश के किसान !
सूखे बंजर खेत हैं, खाली है खलिहान !!
सारे बहरे लोग हैं, गूंगा सब संसार !
निर्बल जन इस जगत में,किससे करें गुहार !!----'तनु'
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