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Monday, March 4, 2019

बगल में छुरी धार की



बगल में छुरी धार की , मीठी मीठी चूप !
कितने झूठे रंग हैं,      कितने झूठे रूप !!

चोरी करते शान से , बनते थानेदार !
सिंह समझे थे हम जिसे, निकले रँगे सियार !!

सबके अंतर विष यहाँ, अमिय बोल रसधार
सदाचरण हैं भूलते,    करते हैं व्यभिचार !!

गर्दन पर तलवार रख,  मनवाये हर बात !
जोड़ूँ जिससे तार मैं , वही कर जाय घात !!

कर्ज में डूबे रहते, हैं देश के किसान !
सूखे बंजर खेत हैं, खाली है खलिहान !!

सारे बहरे लोग हैं,  गूंगा सब संसार !
निर्बल जन इस जगत में,किससे करें गुहार !!----'तनु'

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