अंकुर था सींचा नहीं, की यह कैसी भूल !
सूख गये हैं पात जब, क्या सींचे रे मूल !!
अंकुर सँवार लीजिये, बाकी सब निर्मूल !
पात फूल पर जल नहीं, सीँचा जाता मूल !!.. ''तनु''
सूख गये हैं पात जब, क्या सींचे रे मूल !!
अंकुर सँवार लीजिये, बाकी सब निर्मूल !
पात फूल पर जल नहीं, सीँचा जाता मूल !!.. ''तनु''
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