धूप थोड़ी मिली मुझे आज है ;
दर्द ही गीत है दर्द ही साज है !
ग़ाफ़िल हुआ हूँ हाल से अपने;
गा रहा दर्द, जाने क्या राज़ है !
परिंदों ने दाना चुगा ही नहीं;
बात क्या है? सहमा डरा बाज है !
सूख आँसू, नयन हुए सहरा;
हालत बुरी है कोढ़ में खाज है!
नाम दाने दाने लिखा ही नहीं;
बोलते हैं, किसान का राज है!
तोड़ते पटरियाँ करें जुल्म भी;
ये निराला नया ही अंदाज़ है!
मानो ख़ैरात में मिली जिंदगी ;
फूटते बूँद बुलबुले आज है !
काश डरते तुम, न बुरा करते;
नाम ईश्वर लेते गिरती गाज है?
देखते देखते हुआ पत्थर ;
दिल ''तनु'' वही जिस पर नाज़ है!.. ''तनु''
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