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Tuesday, January 12, 2021

धूप थोड़ी मिली मुझे आज है

धूप थोड़ी मिली मुझे आज है ;
दर्द ही गीत है दर्द ही साज है !

ग़ाफ़िल हुआ हूँ हाल से अपने;
गा रहा दर्द, जाने क्या राज़ है !

परिंदों ने दाना चुगा ही नहीं;
बात क्या है? सहमा डरा बाज है !

सूख आँसू, नयन हुए सहरा; 
हालत बुरी है कोढ़ में खाज है!

नाम दाने दाने लिखा ही नहीं;
बोलते हैं, किसान का राज है!

तोड़ते पटरियाँ करें जुल्म भी;
ये निराला नया ही अंदाज़ है!

मानो ख़ैरात में 
मिली जिंदगी  ;
फूटते बूँद बुलबुले आज है !

काश डरते 
तुम, न बुरा करते;
नाम ईश्वर लेते गिरती गाज है?

देखते देखते हुआ पत्थर ;
दिल ''तनु'' वही जिस पर नाज़ है!..  
''तनु''



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