मैं ज़र्रा हूँ ज़र्रा ही रहने दें;
वक़्त को अपनी कहानी कहने दें!
वक़्त को अपनी कहानी कहने दें!
वादियों में सदाएँ सदियों से हैं;
बात जहां की उन्ही को कहने दें!
नहीं थमेगी कभी रफ़्तार उसकी;
बहता है वक़्त बेलोस बहने दें!
आग पानी में नहीं लगती कभी;
कोशिशें ये नाकाम हैं रहने दें!
झूठ की बुलंदियाँ रह न पाएँगी;
कुछ साँच की आँच तो सहने दें!
आह भरने ना दे झिंझोड़ देगा;
चल उसकी नज़ाकतों को गहने दें!
जिन को पता अर्श का, ना फर्श का;
बहुत मासूम हैं न, अभी रहने दें!
''तनु'' इक अना इमारतें चढ़ती गयी;
कभी गिरा उसे बेख़ौफ़ ढहने दें!... ''तनु''
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