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Thursday, January 7, 2021

मैं ज़र्रा हूँ ज़र्रा ही रहने दें;

 मैं ज़र्रा हूँ ज़र्रा ही रहने दें;
वक़्त को अपनी कहानी कहने दें!

वादियों में सदाएँ सदियों से हैं;
बात जहां की उन्ही को कहने दें!

नहीं थमेगी कभी रफ़्तार उसकी;
बहता है वक़्त बेलोस बहने दें!

आग पानी में नहीं लगती कभी;
कोशिशें ये नाकाम हैं रहने दें!

झूठ की बुलंदियाँ रह न पाएँगी;
कुछ साँच की आँच तो सहने दें! 

आह भरने ना दे झिंझोड़ देगा;
चल उसकी नज़ाकतों को गहने दें!

जिन को पता अर्श का, ना फर्श का;
बहुत मासूम हैं न, अभी रहने दें!

''तनु'' इक अना इमारतें चढ़ती गयी;
 कभी गिरा उसे बेख़ौफ़ ढहने दें!... ''तनु''


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