बेदर्द ........
न जाना पास उनके अपनी तकलीफें ले ले के,
अनजाने दिखावे में अपना वो कुर्ता फाड़ लेते हैं.
करते हैं किनारा आपसे दुख और मुफलिसी में,
बात और बेबात अपना वो पल्ला झाड़ लेते हैं .
न पकड़ना भली लंगोटी भागते भूत की अब तुम,
गनीमत है वो सिर पर पैर रखकर भाग लेते हैं.
इतना होने पर भी सदा रहती उनकी टांग है ऊँची,
यहां वहां जहां तहां अपना वो झंडा गाड़ लेते हैं.
हलवा और करेला गर हो उनके सामने रखा ,
अपने लिये वो सदा ही हलवा छांट लेते हैं.
पल्ले उनके अनजाने कभी कोई काम आ जाये,
बीमारी हो न हो कोई पकड़ वो खाट लेते हैं.
गाये तराने दुख भरे दुनिया से क्या मतलब,
मौसम कोई हो बजाते डफ गा फाग लेते हैं.
भला हो चोरों का जो करते काम उनके साथ ,
मिली मिलाई जितनी रकम हो बांट लेते हैं ........तनुजा ''तनु'' 12 -11 -1974
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