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Monday, September 21, 2015


माता पिता को समर्पित 


दिन बचपन के जो सँवारे न होते ;
मिले संस्कारो के' सहारे न होते !

बिखर ही गए थे बिगड़ भी हम'जाते ;
समय पर जो नैना तरारे न होते !

बचाया उमस बारिश ठंढी गर्मी से ;
हुलसकर ख़ुशी के झलारे न होते !

तमस को हटाया जलाकर के' दीया;  
जो दिन  रैन हमारे उजारे न होते !

उसूल निभ जाये वही जिंदगी' है ;
वरना हम सबके दुलारे न होते !

सरल सी डगर की नहीं चाह कोई ;
पथ वह नहीं जहाँ अंगारे' न होते !

कर रही ''तनु''नमन झुक चरणों को छू ;  
गुलाब तो  गुलाब हैं हजारे न होते !.... तनुजा ''तनु ''

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