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Tuesday, August 30, 2016


प्रार्थना 


 कठिन समय है नयना ढूँढे, पर दिखते करतार नहीं ;
 अपने भी भगवन हैं बनते ,    हैं पर पालनहार नहीं !
 जीवन की उलझन में नैया,   कैसे पार लगाऊँ मैं , ,,
 खेवन हार सभी हैं बनते,     पर करता भव पार नहीं !!... ''तनु''

Monday, August 29, 2016



चालो तो चाँद ने पूछां... 

तूँ तो बिणजारो रे चाँद ,
सूरज सहारो रे चाँद !
वात कई ?? तूँ घटे क्यों ??
पूनम उजास वारो रे चाँद , .''तनु ''



ओस 

क्यों दर्द सह कर दिए तुमने ये ओस के मोती ,
थोड़ी सी हवा और धूप में खोते ओस के मोती !
दे जाते इक दृढ़ इच्छा शक्ति मानव मन को , ,,
हैं अमर कभी खोकर न खोते ओस के मोती !!.. तनुजा ''तनु ''

Sunday, August 28, 2016



हिम कण

ये बिंदु हिम कणों के गुलाब की पंखुरी पर चमकते,
नाचते झिलमिल डोलते गिरते पंखुरी पर दमकते ! 
हुलसी पवन हुलसा गयी सारी डालियाँ गुलाब की, ,,
ओस चमकती रही, पंखुरी की अंजुरी पर गमकते!!..तनुजा ''तनु ''




ओस 

निशा को घाम की तपन धर धरा सो गयी ,
अजब आह भी,...  दिल में दबा धरा सो गयी !
कहूँ क्या ?? अरुणिम नभ था तम के जाते ही , ,,,
चमकती ओस माला देख धरा खो गयी !!...... तनुजा ''तनु ''

Saturday, August 27, 2016



कान्हा झुलना झूलते,  डोर यशोदा हाथ , 
मुस्का पलकें मूँदते,  मृदुल सलोना गात !
मृदुल सलोना गात , देखी छबि मनमोहिनी ,
हरषे कुंज निकुंज , चन्द्र सजते रोहिणी !! ..तनुजा ''तनु ''

Saturday, August 20, 2016



ख़ुशी मन की कपूर है, बहे मवेशी बाढ़ !
नदिया नाले पूर थे  ,   कैसा  था आषाढ़ ?
बरस गया आषाढ़ सावन गरज के बरसा ,
हुए बुरे हालात अब नहीं चाहिए बाढ़ , .... तनुजा ''तनु ''

Thursday, August 11, 2016


बचपन

बचपन बीतता खुशियों ,     खेले कैसे खेल !
कागज़ से जहाज़ बने, मुँह से छुक-छुक रेल !! 

Monday, August 8, 2016





बादल की बूँद बिटिया,...पराई हुई आज ,
नभ में नगाड़े बजते ,.. गिरती तृष्णा गाज !
गिरती तृष्णा गाज,    शीतल मंद पवन बहे !
अपने मन की बात , चुपके से बिजली कहे !!
जाओ पी के धाम, मन की बजाओ मादल,
आना अपने गाम,  ....जब याद आयें बादल !!....तनुजा ''तनु ''


Thursday, August 4, 2016

     
सावण री तीज 

साजण सोहामणि लगे , या सावण री तीज ,
 हिंडा घालो लीमड़ा  ,     आपां जावां भीज !
 आपां जावां भींज  , मचकातो  हिंडो लेवां  ,
 आँख्या लेवां मीच ,   आभै बात कर लेवां !!.... तनुजा ''तनु ''
    

Monday, August 1, 2016





 मांगे बिना न दीजिये ,     कभी कोई सलाह,
 पता नहीं अपमान की,  कब खुल जाए राह !
 अपनी बात तब रखिये जब सन्मुख हो चाह ,
 वाह वाह ही पाइये,     चाहे कोई राह !! ..तनुजा ''तनु''






रुग्ण औ निर्बल हुए,     आज हमारे तात !
जरावस्था बहुत बुरी , बिसराये सब बात !! 
बिसराये सब बात, विधना ये क्यों कर हुआ ?
बोलो दीनानाथ ,     तुम से हम करते  दुआ !
निरोगी रहें तात , और जीयें जुगन जुगन !
सबल मन रहे साथ, दूर भागे रोग रुगन !!... तनुजा ''तनु''