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Saturday, August 20, 2016



ख़ुशी मन की कपूर है, बहे मवेशी बाढ़ !
नदिया नाले पूर थे  ,   कैसा  था आषाढ़ ?
बरस गया आषाढ़ सावन गरज के बरसा ,
हुए बुरे हालात अब नहीं चाहिए बाढ़ , .... तनुजा ''तनु ''

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