तू करीब से होकर गुज़रता रहा!
बावरा मन जी जी कर मरता रहा!!
तेरा दर ही तो मेरी मंज़िल है!
तेरे सिवा मैं कहाँ ठहरता रहा !!
मेरी पलकों में तेरे सपन बसे!
तूने पूछा तो मैं मुकरता रहा!!
ग़म देखे मेरी आरज़ू कब तलक!
कयामत के अंजाम से डरता रहा !!
कभी तो तू सपन से बाहर आजा !
मैं एक दीया यहाँ जगरता रहा !! .. ''तनु''
बावरा मन जी जी कर मरता रहा!!
तेरा दर ही तो मेरी मंज़िल है!
तेरे सिवा मैं कहाँ ठहरता रहा !!
मेरी पलकों में तेरे सपन बसे!
तूने पूछा तो मैं मुकरता रहा!!
ग़म देखे मेरी आरज़ू कब तलक!
कयामत के अंजाम से डरता रहा !!
कभी तो तू सपन से बाहर आजा !
मैं एक दीया यहाँ जगरता रहा !! .. ''तनु''
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