हृदय में नेह, भार बहुत है
तुम्हारा आभार बहुत है
जिंदगी जैसे चलती रेल
राही मिल गये जैसे खेल
प्यार मुहब्बत दिया ईश ने
रखता हूँ मैं हरिक से मेल
मेरे मित्र हैं राम रहीमा
उनसे मुझको प्यार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है
नित मेरे आकुल अंतर में
नेह सुभाषित ज्यों पाथर में
लेकर चाँद सूरज से गीत
प्रीत उमड़ आती गागर में
जब जब नेह शब्द से सींचूँ
खिल जाता संसार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है
हर सूरत प्यारी किताब है
नेक दिल को मिले खिताब है
मेरी याद हृदय सबके हो
इसका तो रखना हिसाब है
इस पथ में राही हुए अमर
कथाएँ बेशुमार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है
मिली व्यथा कहाँ नेह मिला
तो कभी - कभी संदेह मिला
चाहत चलने वाला जाने
चलते गए और गेह मिला
है अंतर्मन में हर हिसाब
कितना दूँ उधार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है। .. ''तनु''
तुम्हारा आभार बहुत है
जिंदगी जैसे चलती रेल
राही मिल गये जैसे खेल
प्यार मुहब्बत दिया ईश ने
रखता हूँ मैं हरिक से मेल
मेरे मित्र हैं राम रहीमा
उनसे मुझको प्यार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है
नित मेरे आकुल अंतर में
नेह सुभाषित ज्यों पाथर में
लेकर चाँद सूरज से गीत
प्रीत उमड़ आती गागर में
जब जब नेह शब्द से सींचूँ
खिल जाता संसार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है
हर सूरत प्यारी किताब है
नेक दिल को मिले खिताब है
मेरी याद हृदय सबके हो
इसका तो रखना हिसाब है
इस पथ में राही हुए अमर
कथाएँ बेशुमार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है
मिली व्यथा कहाँ नेह मिला
तो कभी - कभी संदेह मिला
चाहत चलने वाला जाने
चलते गए और गेह मिला
है अंतर्मन में हर हिसाब
कितना दूँ उधार बहुत है
हृदय में नेह, भार बहुत है,.. तुम्हारा आभार बहुत है। .. ''तनु''
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