जले जब दीपक देखी राह
संकेतों की उलझती चाह
प्यार को ठुकराया जब तुमने
कौन पकडेगा अपनी बाँह
साँझ सवेरे रोज़ मिलेंगे
सजना तेरी राह तकेंगे
पेड़ों तले नदिया किनारे
परछाई सूनी पकड़ेंगे
अब न वहाँ कलियाँ बिखरेंगी
धूप सहती है बिखरी छाँह.... कौन पकडेगा अपनी बाँह
कैसे तारों का ये आँगन
आह भरे जब ना है साजन
कोई टिटहरी दूर बोले
अंगना कंगना सोया मन
अब न वहाँ कंगन खनकेगा
कोई चाह ना कोई आह... कौन पकडेगा अपनी बाँह
प्यार के पन्ने कोरे कोरे
भर भर आते नयन सकोरे
लिखूँ गीत कैसे रूहानी
जज़्बे सोये जी के मोरे
दर है सूना, मन है विव्हल
सो गया है सपनो का गाँव... कौन पकडेगा अपनी बाँह .... ''तनु''
संकेतों की उलझती चाह
प्यार को ठुकराया जब तुमने
कौन पकडेगा अपनी बाँह
साँझ सवेरे रोज़ मिलेंगे
सजना तेरी राह तकेंगे
पेड़ों तले नदिया किनारे
परछाई सूनी पकड़ेंगे
अब न वहाँ कलियाँ बिखरेंगी
धूप सहती है बिखरी छाँह.... कौन पकडेगा अपनी बाँह
कैसे तारों का ये आँगन
आह भरे जब ना है साजन
कोई टिटहरी दूर बोले
अंगना कंगना सोया मन
अब न वहाँ कंगन खनकेगा
कोई चाह ना कोई आह... कौन पकडेगा अपनी बाँह
प्यार के पन्ने कोरे कोरे
भर भर आते नयन सकोरे
लिखूँ गीत कैसे रूहानी
जज़्बे सोये जी के मोरे
दर है सूना, मन है विव्हल
सो गया है सपनो का गाँव... कौन पकडेगा अपनी बाँह .... ''तनु''
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