चाँदनी चाँद की लजाने लगी!
रात भी अब ग़ज़ल सुनाने लगी!!
ख़्वाहिशों का हुजूम लेकर के!
गुम हुई चाह भी सताने लगी !!
मंज़िलें, राह, इश्क़ की बाँहें !
साथ हमराह अब लुभाने लगी !!
आपने कह दिया हमने माना !
झूला मदहोशियाँ झुलाने लगी !!
रंग में, कायनात, तरन्नुम भी !
ये ही तो सच है जताने लगी !!
जागता रूआं,रगें, धड़कने भी !
'तनु' यही इब्तिदा है बताने लगी !!... ''तनु''
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