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Sunday, September 20, 2020

शाइस्ता नहीं

 शाइस्ता नहीं माहौल शहर का, क़ुरबत नहीं रही !

मुरझा गये हैं फूल शजर पर, मुहब्बत नहीं रही !!

सुब्हा का मंज़र है धुंधला अब सबा ठहरी कहाँ ?

की खुशियाँ देख लेना आँख की चाहत नहीं रही !!... . ''तनु''

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