शाइस्ता नहीं माहौल शहर का, क़ुरबत नहीं रही !
मुरझा गये हैं फूल शजर पर, मुहब्बत नहीं रही !!
सुब्हा का मंज़र है धुंधला अब सबा ठहरी कहाँ ?
की खुशियाँ देख लेना आँख की चाहत नहीं रही !!... . ''तनु''
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