आप हम को गुलाब कहते थे ;
आब का जमीं को जवाब कहते थे !
चूमकर ये जबीं हमारी तुम ;
जिया .. कभी माहताब कहते थे !
जुल्फ दिल जां नज़र हमारी को ;
गीत, गजल, की किताब कहते थे !
मेरा जीवन, जिंदगी, जाने जाना ;
जानेमन, जी - जनाब कहते थे !
सँवरते ही रहे कभी आँखों में ;
नज़ारों सा नायाब कहते थे !
हमनशीं, हमनवा, हमक़दम, हम ही ;
पा लिया जहांँ सवाब कहते थे !
दोस्त एक 'तनु' ही तो थी दुनिया ;
तुम हम ही को नवाब कहते थे !.... ''तनु''
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