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Thursday, September 24, 2020

इल्तिजा का उस पर असर ही नहीं


इल्तिजा का उस पर, असर भी नहीं !
नज़र में नहीं, निगाहें असर भी नहीं !!

मानता नहीं, वो मेरी हरिक बात को !
अब बंधन नहीं, गुजर बसर भी नहीं !!

कौन जीता है, जिंदगानी किसी की !
उस मंजिल में नहीं, इस डगर भी नहीं !!

चैन खोकर, क्यों तड़प प्यास है पाई !
हो मुकम्मिल कहाँ, कम क़सर भी नहीं !!

खो गयी है क़शिश, रिश्ता भी डूबता !
बंधन से मुक्त हुए, हद असर भी नहीं !!

नज़र में नहीं हो, अब जेहन में नहीं तुम !
गुम दिलो जां से, अब मफ़र भी नहीं

कसम जी की लीजिये, क्या बन गयी हूँ !
टूटते रुक़्न भी, मैं अब बहर भी नहीं !!

क्या तजुर्बा ''तनु'' जिंदगी का नहीं ?
दर-बदर का मारा हूँ शजर भी नहीं !!... ''तनु''


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