न रहने से मेरे ये महफ़िल तो अधूरी तो न होगी ,
मैं आऊँगी ये कह भी दूँ तो भी सबूरी तो न होगी !
आदतें बदल भी डालो के हर ख्वाब रंगीन नहीं ,
स्याह रात ऐसी कभी गुज़री म जबूरी तो न होगी !
मैं मैं हूँ किसी भी अक्स में न तलाशो मुझको ,
अब्र -ए -इल्तिफ़ात भी मुझसे उबरी तो न होगी !
चाँद घट घट के भी रहता है सबके जेहन में ,
''तनु'' अमावस सही, ये सदके ये जी हजुरी तो न होगी !! …… ''तनु''