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Saturday, January 17, 2015

तमस पीर
अमावस रजनी
ढूँढे मयंक

Friday, January 16, 2015

कान का कच्चा
मीत  नहीं  किसी का
दे जाता गच्चा 
गीत धारिणी
हरित श्याम धरा 
 मेघ मल्हार

गीत दादुर 
मेघ बुलाते नहीं 
चमन गुल 


कल्पक रचे 
अम्बर की छलनी 
छनती बूँदें  …''तनु '' 

बन मुकुट   
धरा मस्तक छाई
 तुषार माला 





१ 
स्नेहिल स्पर्श 
झाँक फुनगी हटा
वसु उतरी
२  विषतूलिका 
झाँक फुनगी हटा 
टपकी धरा
३  हुआ स्वतंत्र 
झाँक फुनगी हटा 
अमृत मन्त्र
४  निरख पुष्प 
झाँक फुनगी हटा 
मयूख हँसे
५  किरण संग 
झाँक फुनगी हटा 
सूरज बैठा





रजनी सोई
चुरा गया सूरज 
ओस का मोती।
सोई सोई  सी
रजनी  की दुनिया
शीत  प्रहरी
आ गई फिर वादे सबां मेरी मंज़िल का पता पूछते हुए
खिले हैं गुल  सुकूं से बैठी हूँ मैं उसका पता पूछते हुए 

Thursday, January 15, 2015



दिल डर जाता है गर तहरीर में अज़ल हो ?
मेहर  मेरे खुदा की गुलशन में फज़ल हो … 
तावीर में खुदा हो, गुशलन में  खिलें गुल !!!
ख्वाब की तावीर हो हर तहरीर में ग़ज़ल हो....'' तनु ''
                                                      

Wednesday, January 14, 2015



 क्यों घट रीते ? क्यों जीवन घटता ? घटती  नहीं है आशा ,
 झोली जितनी उतना मिलता घटता नहीं  तोला माशा ....... 
 जीवन पतंग  जन पतंगा  कर्म  के संग  जलता जाए !
 जीवन में क्या क्या पालूँ ?? कैसी है मेरी अभिलाषा ??? .... ''तनु ''

Tuesday, January 13, 2015

पापों की शीत
प्रभाकर पुनीत
फैलेगी प्रीत

खोई खोई सी
किरण की दुनिया
शीत  प्रहरी

सर्द सुबह
आदित्य पढ़ते हैं
 ओस आखर

गलबहियाँ
मकर संक्रांति में
ग्रीष्म शीत की

सूरज सम
रख मोती ओस का
रजनी सोई

शीत शर्बरी
अरुणिम किरण
हरे संताप


ओस की बूँदें
विभावरी रचती 
मोती प्रभात…  

Monday, January 12, 2015

ओस की बूँदें
रचती सी रजनी
मोती प्रभात… 

रवि के गाँव
शीतल का पहरा
ओस के दीप…

चुरा के मोती
दिनकर सजाए
धानी  चुनर … ''तनु ''


Sunday, January 11, 2015

 खुदा के लिए ,… 

 याद आऊँ  मैं तुझे कोई ऐसी एक शाम तो हो !
 मुस्कुरा के गीत गाऊँ कोई ऐसी एक शाम तो हो !!

 दरीचे खुले भी हों तो भी बहारें नहीं आएँगी !
 बर - जबान मीठा सा कोई एक पैगाम तो हो !!
  
 बीत गई जिंदगी सारी  इंतज़ार उनका करते हुए ! 
 क्यों  इंतज़ार है उन्हें कोई एक जिस्म जाम तो हो !!

 जो शोख हैं खुली हवाओं में उड़ने के हैं शौक़ीन !
 ख्वाब आँखों में ही हैं इसका कोई एहतिमाम तो हो !!

 पिछले जन्म भी ''तनु '' प्यासी, इस जन्म भी क्या उम्मीद !
 क्या खबर कैसे मिले रहबर इसका कोई इंतज़ाम तो हो !! … ''तनु ''

Friday, January 9, 2015

अक्स 

जब बनों हबीब तुम तो कोई दर्द तुम्हारा न होगा
जब दोगे प्यार तुम तो कोई कैसे तुम्हारा न होगा
राज - ए - सर - बस्ता* क्या कोई जानता नहीं  
जब न रहोगे तुम तो अक्स भी तुम्हारा न होगा। … ''तनु ''
 hidden* 


दोस्ती 

वो अक्स नहीं खुद ही आइना-रु हुआ है ,
रूप है ये दोस्ती का वो जलवागर हुआ है !

 नवाजिश करम खुदारा  ये दोस्ती के नाम ,
खुशियाँ बाँटिये चुप क्यों कैसे सबर हुआ है ! 

किश्तों को गिनता न सांसों का लेता हिसाब , 
जो जाँ करदे कुर्बान वो सुबुक -बार हुआ है !  

जहे नसीब कोई जो गर दोस्त हो तुम्हारा ,
 अदु नहीं  ''तनु ''हबीब है खुद ही बेदार हुआ है! .... ''तनु ''


                                 
देख चाक -  चाक सीना रफूगीर मेरा रोया है,
उजाला फैला उठूँ कैसे   वजूद मेरा सोया है ?
किताबे जिंदगी का हर वरक़ है क्यों मुड़ा - मुड़ा  सा 
नाकाम हूँ ज़िंदा हूँ, क्यों अक्स मेरा खोया है ?..... ''तनु ''

शब्द आहत
फूटे मन उद्गार
रोये नयन 
शब्द सिंचन
सृजन हार मन
खिली कविता


शब्दों में  ढल
भावों की चली रेल
मन गंतव्य


रहा अधूरा
शब्द बिन सृजन
रोई कविता


कविता बूँद
धरा महाकाव्य सी
पढ़ें मनुज

शब्द बरसे
बूँद कहे  कविता
सरसे मनु

शब्द छंद से
करते गुणगान
पढ़ें मनुज

हरफ बूटे
तहरीर ग़ज़ल
तावीरे ख़्वाब







Thursday, January 8, 2015

कायनात है अक्स उसका सम्हालो इसको ,
जर्रे से कर  प्यार निखारो उजालो  इसको ,
साँस साँस से संवरी है ये शाम सुरमई !!!
जीवन सा जियो यारों  ना  उजाड़ो इसको ,.... ''तनु ''

Tuesday, January 6, 2015



 हाँ तुम !!! तुम हो!!!
 तुम ही हो मित्र , 
नाम से तुम्हारे ,
शक्ति सी मिल जाती है। 
पास होने से तुम्हारे ,
हर ग़म दूर हो जाते हैं. 
तुम ही हो उजाला!!!
तुम ही हो महक !!!
छाया भी तुम ही हो ,
या मैं कहूँ फरिश्ता !!
या के खुदा तुम ही हो!!! … ''तनु ''

Monday, January 5, 2015

 न रहने से मेरे ये महफ़िल तो अधूरी तो न होगी ,
मैं आऊँगी ये कह भी दूँ तो भी सबूरी तो न होगी ! 

आदतें बदल भी डालो के हर ख्वाब रंगीन नहीं , 
स्याह रात ऐसी कभी गुज़री म जबूरी तो न होगी ! 

मैं मैं हूँ किसी भी अक्स में न तलाशो मुझको ,
अब्र -ए  -इल्तिफ़ात भी मुझसे उबरी तो न होगी !   

चाँद घट घट के भी रहता है सबके जेहन में , 
''तनु'' अमावस सही, ये सदके ये जी हजुरी तो न होगी !! …… ''तनु''

Sunday, January 4, 2015

टूटते  घट 
आत्मा विहीन जन 
छोड़ते तन 

Friday, January 2, 2015

अरुणोदय
छलका रश्मि  घट
पोषित धरा 

रवि प्रांगण 
घट घट किरण 
फैला प्रकाश 

 मेघ गर्जन 
उलझी शम्पा रश्मि 
जल प्लावन

 नन्ही किरण 
गोद लाड़ली  धीय 
करे उजाला 

किरण परी
 लिए जादुई छड़ी 
सजाये जग 

दिखे विधु सा 
 वसु  विहीन भानु 
नहीं सोहता / मन मोहता 

संध्या भोर 
अलहदा स्वर्णिम 
क्षितिज मित्र। … 

Thursday, January 1, 2015

कटी पतंग
नाते रिश्ते बिखरे
झूठी उम्मीद

मिलन आस
उमड़ती नदिया
सागर प्रीत

कली चटकी
स्वागत नौबहार
आस पतंग

बूँद बरसी
मनवा तरंगित
आस हरषी 
सूफी संगीत
उम्मीद लिए दीप
मन उजास

 मन देहरी
उम्मीद पर पानी
बुझते दीए 

आशा के गाँव
गूँजती  शहनाई
बंधे घुँघरू

मधुर गूँज
कलरव प्रभात
आये प्रवासी


बड़ी उम्मीद
उकेरे शब्द हरे
धरा कागज़

कच्चा सा धागा
रिश्ते नाते बिखरे
छूटी उम्मीद

आस का पंछी
दाना चोंच ले चले
सन्तुष्ट मन

धूप चमकी
उमड़ती चाहत
उम्मीद पकी

आशा के गाँव
गूँजती  शहनाई
बंधे घुँघरू

मधुर गूँज
कलरव प्रभात
आये प्रवासी


बड़ी उम्मीद
उकेरे शब्द हरे
धरा कागज़

कच्चा सा धागा
रिश्ते नाते बिखरे
छूटी उम्मीद