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Tuesday, January 13, 2015

पापों की शीत
प्रभाकर पुनीत
फैलेगी प्रीत

खोई खोई सी
किरण की दुनिया
शीत  प्रहरी

सर्द सुबह
आदित्य पढ़ते हैं
 ओस आखर

गलबहियाँ
मकर संक्रांति में
ग्रीष्म शीत की

सूरज सम
रख मोती ओस का
रजनी सोई

शीत शर्बरी
अरुणिम किरण
हरे संताप


ओस की बूँदें
विभावरी रचती 
मोती प्रभात…  

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