Labels

Monday, January 5, 2015

 न रहने से मेरे ये महफ़िल तो अधूरी तो न होगी ,
मैं आऊँगी ये कह भी दूँ तो भी सबूरी तो न होगी ! 

आदतें बदल भी डालो के हर ख्वाब रंगीन नहीं , 
स्याह रात ऐसी कभी गुज़री म जबूरी तो न होगी ! 

मैं मैं हूँ किसी भी अक्स में न तलाशो मुझको ,
अब्र -ए  -इल्तिफ़ात भी मुझसे उबरी तो न होगी !   

चाँद घट घट के भी रहता है सबके जेहन में , 
''तनु'' अमावस सही, ये सदके ये जी हजुरी तो न होगी !! …… ''तनु''

No comments:

Post a Comment