शब्द सिंचन
सृजन हार मन
खिली कविता
शब्दों में ढल
भावों की चली रेल
मन गंतव्य
रहा अधूरा
शब्द बिन सृजन
रोई कविता
कविता बूँद
धरा महाकाव्य सी
पढ़ें मनुज
शब्द बरसे
बूँद कहे कविता
सरसे मनु
शब्द छंद से
करते गुणगान
पढ़ें मनुज
हरफ बूटे
तहरीर ग़ज़ल
तावीरे ख़्वाब
सृजन हार मन
खिली कविता
शब्दों में ढल
भावों की चली रेल
मन गंतव्य
रहा अधूरा
शब्द बिन सृजन
रोई कविता
कविता बूँद
धरा महाकाव्य सी
पढ़ें मनुज
शब्द बरसे
बूँद कहे कविता
सरसे मनु
शब्द छंद से
करते गुणगान
पढ़ें मनुज
हरफ बूटे
तहरीर ग़ज़ल
तावीरे ख़्वाब
No comments:
Post a Comment