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Friday, January 9, 2015

शब्द सिंचन
सृजन हार मन
खिली कविता


शब्दों में  ढल
भावों की चली रेल
मन गंतव्य


रहा अधूरा
शब्द बिन सृजन
रोई कविता


कविता बूँद
धरा महाकाव्य सी
पढ़ें मनुज

शब्द बरसे
बूँद कहे  कविता
सरसे मनु

शब्द छंद से
करते गुणगान
पढ़ें मनुज

हरफ बूटे
तहरीर ग़ज़ल
तावीरे ख़्वाब







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