अरुणोदय
छलका रश्मि घट
पोषित धरा
रवि प्रांगण
घट घट किरण
फैला प्रकाश
मेघ गर्जन
उलझी शम्पा रश्मि
जल प्लावन
नन्ही किरण
गोद लाड़ली धीय
करे उजाला
किरण परी
लिए जादुई छड़ी
सजाये जग
दिखे विधु सा
वसु विहीन भानु
नहीं सोहता / मन मोहता
संध्या भोर
छलका रश्मि घट
पोषित धरा
रवि प्रांगण
घट घट किरण
फैला प्रकाश
मेघ गर्जन
उलझी शम्पा रश्मि
जल प्लावन
नन्ही किरण
गोद लाड़ली धीय
करे उजाला
किरण परी
लिए जादुई छड़ी
सजाये जग
दिखे विधु सा
वसु विहीन भानु
नहीं सोहता / मन मोहता
संध्या भोर
अलहदा स्वर्णिम
क्षितिज मित्र। …
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