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Sunday, January 11, 2015

 खुदा के लिए ,… 

 याद आऊँ  मैं तुझे कोई ऐसी एक शाम तो हो !
 मुस्कुरा के गीत गाऊँ कोई ऐसी एक शाम तो हो !!

 दरीचे खुले भी हों तो भी बहारें नहीं आएँगी !
 बर - जबान मीठा सा कोई एक पैगाम तो हो !!
  
 बीत गई जिंदगी सारी  इंतज़ार उनका करते हुए ! 
 क्यों  इंतज़ार है उन्हें कोई एक जिस्म जाम तो हो !!

 जो शोख हैं खुली हवाओं में उड़ने के हैं शौक़ीन !
 ख्वाब आँखों में ही हैं इसका कोई एहतिमाम तो हो !!

 पिछले जन्म भी ''तनु '' प्यासी, इस जन्म भी क्या उम्मीद !
 क्या खबर कैसे मिले रहबर इसका कोई इंतज़ाम तो हो !! … ''तनु ''

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