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Saturday, August 24, 2019

लेकर आन सँवरती बूँदे!

लेकर आन सँवरती बूँदे!
मन हो जहाँ बरसती बूँदे!!

मन में संशय ज्वार लिये है!
मन का कहा न करती बूँदें!!

मरना जीना भी मुहाल है!
धर पर कहाँ ठहरती बूँदे!!

इधर उधर इतराय फिरे है!
कल के सपने बनती बूँदे!!

जितनी मेहनत उतना ज्ञानी!
स्वेद बन बन उतरती बूँदे!!

अनुभूति बन गयी है चंदन!
साज का संग करती बूँदें!!

देखो इसी प्यासी धरा की !
बादल बादल फिरती बूँदे!!

इंसानों से ख़ूब ठन गयी!
दिखती कितनी प्यासी बूँदें!!... ''तनु''

भीना सा मधुबन दे दो !

भीना सा मधुबन दे दो !
ओ प्यार मुझे शबनम दे दो!!


जब पैरों की बजती पायल,
घुँघरू भी मन के बजते हैं !
नदिया की भी बढ़ती कलकल , ,,
चहुँओर सितारे छिटके हैं !!
उजियारे मन के अंदर है,
तुम भोला सा साजन दे दो..... भीना सा मधुबन दे दो 
ओ प्यार मुझे शबनम दे दो!!

विश्वास भरे मन के अंदर,
अहसास सुनहरे जगते हैं !
फूलों सी जीवन बगिया में, ,,
महकते हजारे उगते हैं !!
खंडहर न हो जाये मंजर,
ख्वाबों को बस दमख़म दे दो..... भीना सा मधुबन दे दो 
ओ प्यार मुझे शबनम दे दो!!

अब तो जगती मन की तड़पन, 
जब जब देखूँ मन का दर्पण!
दमके चमके मुखड़ा मेरा, ,,
सलोना सलोना आकर्षण!
माँग भरूँ ओ नथ भी पहनूँ ,
रंगों सजा दामन दे दो  .... भीना सा मधुबन दे दो 
ओ  प्यार मुझे शबनम दे दो!!.... ''तनु''

ऐसी धूप हमें ना भाये,

ऐसी धूप हमें ना भाये,
नभ में बादल उड़ते जाये!

खेत खेत पड गयीं दरारें,
कौन लेकर आये फुहारें!
गर्मी से तन मन अकुलाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

दादुर गान हुआ अब गुम है,
पनघट नहर रहट गुमसुम है!
विधना हमसे रूठे जाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

तन से देखो बहे पसीना,
किसने सारा सुख है छीना!
चातक प्यास प्यास चिल्लाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

सूखे सभी तरुवर सरोवर, 
सूरज निगले आज धरोहर!
धरती तड़के फट फट जाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

अकुलाया तन मन 'तनु' दुखता,
सम्बंधों का मेह सूखता!
साम गीत जन कौन सुनाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!... 'तनु'

अमलतास



शाख पात ने पहने गहने,
हरी शाख औ पीले गहने!
झूमर देखो अमलतास के, ,,
धूप प्यार की लगते सहने !!

लू के गर्म थपेड़े खाये,
लोगों को राहत पहुँचाये !
दुख सहता सुख सबको देता, ,,
 सीख सभी को लगता कहने!!

रंग क़ुदरत के कहाँ छुपते,
चाँद के संग रौशन दिखते!
पीले कंदीलों की दुनिया, ,,
संग हवा के लगती बहने!!

 रंग अनूठा अमलतास का,
देख अकेले अमलतास का!
दिन में जैसे धूप बढ़ी है, ,,
छाँह चली बन साथी रहने

गा कर कोई ग़ज़ल गया है,
वो झुमकों में बदल गया है!
एक नहीं अनेक 'तनु' झूमर, ,,
शाखाएँ हैं जुड़वाँ बहने !!.... ''तनु''

Monday, August 19, 2019

हड्डियों का एक ढाँचा घात करता है!

हड्डियों का एक ढाँचा घात करता है!
वो दिखाने देखने की बात करता है!!

टिक नहीं पाया बग़ावत की हवाओं में!
मार कर मैदान तहक़ीक़ात करता है!!

शख़्स वो ज़ाहिर नहीं रणबाँकुरा कोई!
हाथ ले शमसीर क्यों आघात करता है!!

हाथ जोड़े है खड़ा क़ातिल नहीं लगता!
क्यों किसी को मार कर सदमात करता है!!

क्या कहूँ वो दानव है या देवता कोई!
था कभी शालीन वो' खुराफ़ात करता है!!.... ''तनु''

सो ''तनु'' अब सोती हैं लहरे!

मन की तुरपन और उधड़ती !
घाव तन के हो गए गहरे !!


दर्पण देखे मेरी तड़पन !
अश्क़ बहे औ बह कर ठहरे !!

मुक्ति मिलेगी नहीं चुभन से!
गढ़ी फाँस है तन में गहरे !!

उजड़ी बगिया रूठा माली!
लगते पवन सुमन पर पहरे !!

जेठ जला बैठा पलाश को!
घाम तपन से खोयी नहरे !!

हैं जज़्बात जरूरी दिल के!
गीत सुने कौ सब है बहरे!! 

चाँद सितारे रोते हैं अब!
बूँद जरेंगी सहरे सहरे !!

वंशी कब से मौन हो गयी!
सोजा ''तनु'' सोती हैं लहरे!! .... ''तनु''

आह मैं कैसे भरूँगी !

आह मैं कैसे भरूँगी !
बात मैं कैसे करूँगी!!

प्यार का आधार रूठा,
विस्तार मझधार छूटा!
टूटते हैं तार दिल के, ,,
रार में कैसे करूँगी !!

खो गई मनुहार मनहर,
सादगी भी सद्भाव की!
वही तप संस्कार लेकर, ,,
हार मैं कैसे वरुँगी!!

मोहिनी मुस्कान तज दी,
नैना कजरारे रोते!
राह रस अनुराग भीगी, ,, 
और पग कैसे धरूँगी!!

चाँद बादलों का प्यारा,
चाँदनी भी गुम है कहीं !
मधुमयी श्रृंगार ज़हरी, ,,
गरल पी कैसे गरुँगी!!

अब कहाँ गूँजते भँवरे,
सो गयी हैं चेतनाएँ!
वेदना संवेदना की, ,,
कश्तियाँ कैसे तरूँगी!!

गूँजती शहनाइयाँ थी,
भावना मदहोश होती!
मित्र चित्र में समा गये, ,,
देख कर कैसे मरूँगी!!

आँसूओं की बारिश में,
आँधियों में रात उजड़ी!
प्रीत के उपहार खोकर, ,,
जिंदगी कैसे टरूँगी!! ..... ''तनु''

Monday, August 12, 2019

इश्क़ लगने लगा इबादत ऐ मेरे मालिक

 इश्क़ लगने लगा इबादत ऐ मेरे मालिक ,
 मुझको लगी ये कैसी लत ऐ मेरे मालिक !! 

वक्त बस में नहीं औ दिल बेकाबू हो गया ,
पास दिखती है कयामत ऐ मेरे मालिक !!

लुट गयी जागीर हसरतें भी मेरी गयीं ,
रास आ गयी है बग़ावत ऐ मेरे मालिक !!

मैं हुआ दिलगीर मौसम कैसा उदासी का ,
नाम तेरे लिख दिये ख़त ऐ मेरे मालिक !!

सौ बार उजड़ा नहीं बसूँगा  ईमान से ,  
मुझको सूझी है शरारत ऐ मेरे मालिक !!

तौक़ में हूँ असीर हूँ जाना की खुश बहुत ,
तू ही जाने ये जहालत  ऐ मेरे मालिक !!

शुक्राना ''तनु'' का इस मसरूफ़ियत के लिये ,   
ख़ूब सहूँ अब ये जलालत ऐ मेरे मालिक !!.... ''तनु''

Sunday, August 11, 2019

मेरे दिल के सभी राज़ पता हैं उसको

मेरे दिल के सभी राज़ पता हैं उसको,
वो नहीं सुनेगा मत दो सदाएँ उसको!

वो मेरा है, मैं नहीं परखूँगा उसको,
बातें बहुत सी जो इंसा बनाये उसको!

तूफ़ां से भी लड़ जाना आये है उसे,
नहीं डराती हैं वक्त की हवाएँ उसको!

जिक्र उसका सदा मेरी जुबां पर रहता,
भूलना चाह के दिल ना भुलाये उसको!

आइना खुद के मुक़ाबिल रख के चलता है,
वो खुद ही गिर जाये जो गिराये उसको!!"तनु"