इश्क़ लगने लगा इबादत ऐ मेरे मालिक ,
मुझको लगी ये कैसी लत ऐ मेरे मालिक !!
वक्त बस में नहीं औ दिल बेकाबू हो गया ,
पास दिखती है कयामत ऐ मेरे मालिक !!
लुट गयी जागीर हसरतें भी मेरी गयीं ,
रास आ गयी है बग़ावत ऐ मेरे मालिक !!
मैं हुआ दिलगीर मौसम कैसा उदासी का ,
नाम तेरे लिख दिये ख़त ऐ मेरे मालिक !!
सौ बार उजड़ा नहीं बसूँगा ईमान से ,
मुझको सूझी है शरारत ऐ मेरे मालिक !!
तौक़ में हूँ असीर हूँ जाना की खुश बहुत ,
तू ही जाने ये जहालत ऐ मेरे मालिक !!
शुक्राना ''तनु'' का इस मसरूफ़ियत के लिये ,
ख़ूब सहूँ अब ये जलालत ऐ मेरे मालिक !!.... ''तनु''
मुझको लगी ये कैसी लत ऐ मेरे मालिक !!
वक्त बस में नहीं औ दिल बेकाबू हो गया ,
पास दिखती है कयामत ऐ मेरे मालिक !!
लुट गयी जागीर हसरतें भी मेरी गयीं ,
रास आ गयी है बग़ावत ऐ मेरे मालिक !!
मैं हुआ दिलगीर मौसम कैसा उदासी का ,
नाम तेरे लिख दिये ख़त ऐ मेरे मालिक !!
सौ बार उजड़ा नहीं बसूँगा ईमान से ,
मुझको सूझी है शरारत ऐ मेरे मालिक !!
तौक़ में हूँ असीर हूँ जाना की खुश बहुत ,
तू ही जाने ये जहालत ऐ मेरे मालिक !!
शुक्राना ''तनु'' का इस मसरूफ़ियत के लिये ,
ख़ूब सहूँ अब ये जलालत ऐ मेरे मालिक !!.... ''तनु''
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