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Monday, August 12, 2019

इश्क़ लगने लगा इबादत ऐ मेरे मालिक

 इश्क़ लगने लगा इबादत ऐ मेरे मालिक ,
 मुझको लगी ये कैसी लत ऐ मेरे मालिक !! 

वक्त बस में नहीं औ दिल बेकाबू हो गया ,
पास दिखती है कयामत ऐ मेरे मालिक !!

लुट गयी जागीर हसरतें भी मेरी गयीं ,
रास आ गयी है बग़ावत ऐ मेरे मालिक !!

मैं हुआ दिलगीर मौसम कैसा उदासी का ,
नाम तेरे लिख दिये ख़त ऐ मेरे मालिक !!

सौ बार उजड़ा नहीं बसूँगा  ईमान से ,  
मुझको सूझी है शरारत ऐ मेरे मालिक !!

तौक़ में हूँ असीर हूँ जाना की खुश बहुत ,
तू ही जाने ये जहालत  ऐ मेरे मालिक !!

शुक्राना ''तनु'' का इस मसरूफ़ियत के लिये ,   
ख़ूब सहूँ अब ये जलालत ऐ मेरे मालिक !!.... ''तनु''

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