Labels

Monday, August 19, 2019

सो ''तनु'' अब सोती हैं लहरे!

मन की तुरपन और उधड़ती !
घाव तन के हो गए गहरे !!


दर्पण देखे मेरी तड़पन !
अश्क़ बहे औ बह कर ठहरे !!

मुक्ति मिलेगी नहीं चुभन से!
गढ़ी फाँस है तन में गहरे !!

उजड़ी बगिया रूठा माली!
लगते पवन सुमन पर पहरे !!

जेठ जला बैठा पलाश को!
घाम तपन से खोयी नहरे !!

हैं जज़्बात जरूरी दिल के!
गीत सुने कौ सब है बहरे!! 

चाँद सितारे रोते हैं अब!
बूँद जरेंगी सहरे सहरे !!

वंशी कब से मौन हो गयी!
सोजा ''तनु'' सोती हैं लहरे!! .... ''तनु''

No comments:

Post a Comment