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Saturday, August 24, 2019

ऐसी धूप हमें ना भाये,

ऐसी धूप हमें ना भाये,
नभ में बादल उड़ते जाये!

खेत खेत पड गयीं दरारें,
कौन लेकर आये फुहारें!
गर्मी से तन मन अकुलाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

दादुर गान हुआ अब गुम है,
पनघट नहर रहट गुमसुम है!
विधना हमसे रूठे जाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

तन से देखो बहे पसीना,
किसने सारा सुख है छीना!
चातक प्यास प्यास चिल्लाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

सूखे सभी तरुवर सरोवर, 
सूरज निगले आज धरोहर!
धरती तड़के फट फट जाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!

अकुलाया तन मन 'तनु' दुखता,
सम्बंधों का मेह सूखता!
साम गीत जन कौन सुनाये, ,,
नभ में बादल उड़ते जाये!!... 'तनु'

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