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Saturday, August 24, 2019

लेकर आन सँवरती बूँदे!

लेकर आन सँवरती बूँदे!
मन हो जहाँ बरसती बूँदे!!

मन में संशय ज्वार लिये है!
मन का कहा न करती बूँदें!!

मरना जीना भी मुहाल है!
धर पर कहाँ ठहरती बूँदे!!

इधर उधर इतराय फिरे है!
कल के सपने बनती बूँदे!!

जितनी मेहनत उतना ज्ञानी!
स्वेद बन बन उतरती बूँदे!!

अनुभूति बन गयी है चंदन!
साज का संग करती बूँदें!!

देखो इसी प्यासी धरा की !
बादल बादल फिरती बूँदे!!

इंसानों से ख़ूब ठन गयी!
दिखती कितनी प्यासी बूँदें!!... ''तनु''

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