आज धर्म के नाम दिखावा
है बहुतेरा !
है बहुतेरा !
जोर शोर से बप्पा लाते
मोरया मेरा !!
वन्दन वार झूमर सजाते,
रोज आरती भोग लगाते!
गीत गाते फिर से बुलाते, ,,
बप्पा तुम भूलो ना मुझको
भाव उकेरा !!
उड़ रही गुलाल चारों ओर,
डीजे का है भरपूर शोर!
नदी तालाब प्रदूषण घोर, ,,
सारे मिल कर गन्दा करते
दरिया डेरा !!
भक्ति के नाम फिर वही भूल,
गणपति के धाम फिर वही भूल!
धार्मिक नेतृत्व है निर्मूल, ,,,
हे गजानन अब करो माफ
पाप घनेरा !!
हो रहा अपमान तुम्हारा ,
खो गया सम्मान तुम्हारा!
जाने अनजाने तुम्हारा, ,,
सिरजन विसर्जन के चलते
हुआ बखेड़ा !!
साल दर साल यह ही सूरत,
दिखती फुटपाथों पे मूरत!
पहले पूजन फिर विसर्जन, ,,
झूठा है ये लोक दिखावा
शाम सवेरा!!.... ''तनु''
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