झुर्रियाँ
अश्कों का सैलाब बहाती झुर्रियाँ रह गयी ;
फूल काँटों में भी खिलाती झुर्रियाँ रह गयी !
वो जवानी की मौज वो प्यारे दिन बचपन के ;
रोज़ संगत-असंगत सजाती झुर्रियाँ रह गयी !
पाबंदियाँ, संस्कार और वक्त , ,,गज़ब के रहे ;
बुलंदियाँ छूती लक्ष्य को पाती झुर्रियाँ रह गयी !
जिंदगी के दिन कटते अँगुलियों की पोर पर
करम रेखाएँ घिसी, हँसाती झुर्रियाँ रह गयी !
दिल अनुभवों का खज़ाना तो चल साथ बाँट लें ;
फिर न कहना ये दिल दुखाती झुर्रियाँ रह गयी !
छोड़ दुनिया की शय यहीं, जाना सबको है कहाँ ;
ख़्वाबों ख्यालों के गीत सुनाती झुर्रियाँ रह गयी !
आस है देखूँ ज़माना, उन आँखों से बचपन की ;
अँगुलियों की छुअन दिखाती झुर्रियाँ रह गयी !
चल पड़े वो जानिब-ए-दरिया सबको ही भूलकर !
चेहरे पे उनके लहराती झुर्रियाँ रह गयी !!..... तनुजा ''तनु ''
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