राज़
खोजिए राज़ कहाँ पाएंगे ;
फूल गुलदानों मुरझाएँगे !
खैर से सफर गुजरता कैसे ?
बिछड़ आप रह ही जाएंगे !
क्या वक्त था कल का, क्यों सोचे ?
जो हुआ भूलकर जी पाएंगे ,
नीयत इंसान की बिगड़ जाये ;
अजनबी राहजनी कर जाएंगे !
कोशिशें बहुत नतीजा है सिफर ;
आजिज़ आ हम रो ही जाएंगे !
हम चले अपनी सलीब उठाकर !
मंज़िल कभी तो पा ही जाएंगे !! ...तनुजा ''तनु''
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