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Wednesday, April 13, 2016



राज़ 


खोजिए राज़ कहाँ पाएंगे ;
फूल गुलदानों  मुरझाएँगे !

खैर से सफर गुजरता कैसे ?

बिछड़ आप रह ही जाएंगे !

क्या वक्त था कल का, क्यों सोचे ? 

जो हुआ भूलकर जी पाएंगे ,

नीयत इंसान की बिगड़ जाये ; 

अजनबी राहजनी कर जाएंगे ! 

कोशिशें बहुत नतीजा है सिफर ;

आजिज़ आ हम रो ही जाएंगे !

हम चले अपनी सलीब उठाकर !
मंज़िल कभी तो पा ही जाएंगे !! ...तनुजा ''तनु''




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