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Thursday, April 7, 2016








मंज़िलों की हद कहाँ पर खो गई ?? 
चाँदनी भी चलते चलते सो गयी, ,,

टूट कर एतिबार दिलो जां पस्त से , ,,,
आँख रोई दामन फिर भिगो गई !!,

लहद यही मेरे लिए है प्यार में ??
खार दिल में चाँदनिया चुभो गई , ,,

नेकियाँ बदी से ज्यादह थी कहीं, 
कौन से हिसाब में कमी हो गई ?? 

सनद किसको औ जहां किसको मिला ??
नाम जद मैं नहीं बहारें हो गई  , ,,,

गुल,सितारा,चाँद भी क्या हसीन है , ,
मुस्तनद है कौन ?  ये कहानी' हो गई  !!!...तनुजा ''तनु ''



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