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Friday, April 8, 2016

झूला


सुख दुःख की पींगे भरता, जीवन झूला झूल रहा ;
घाव सबके समय भरता, ये खोया पाया भूल रहा , ,,,
नभ छूता धरा को छू कर कैसा अनोखा दोलन ??
खुशियों के फूलों सा झरता,  कभी चुभता शूल रहा !!!... तनुजा ''तनु ''

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