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Monday, April 25, 2016



सुगना !!!


रे मना मत बन बदरंगा सुगना;
रंग तेरा हरियल सुन्दर सुगना !

भर मन की उड़ान, नभ खुला अपना;
खो कर ख़ुशी, न रह तू दबा सुगना ! 

पेड़ टूटा , मीत भी है अनमना;                  
गीत गाकर, जगत तू रिझा सुगना !

पिंजरे में पिंजर!!! कल था , कल ना ;
देह माटी,    साँस के बिना सुगना !

देह सबकी अलग, पोशाकें अलग;
साँच से अब आँख मत चुरा सुगना !!

सजन तो परदेस, कौ  नहीं अपना ;
काल चला ?  चल !! कर अब भला सुगना !!,,...तनुजा ''तनु ''




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