सुगना !!!
रे मना मत बन बदरंगा सुगना;
रंग तेरा हरियल सुन्दर सुगना !
भर मन की उड़ान, नभ खुला अपना;
खो कर ख़ुशी, न रह तू दबा सुगना !
पेड़ टूटा , मीत भी है अनमना;
गीत गाकर, जगत तू रिझा सुगना !
पिंजरे में पिंजर!!! कल था , कल ना ;
देह माटी, साँस के बिना सुगना !
देह सबकी अलग, पोशाकें अलग;
साँच से अब आँख मत चुरा सुगना !!
सजन तो परदेस, कौ नहीं अपना ;
काल चला ? चल !! कर अब भला सुगना !!,,...तनुजा ''तनु ''
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