Labels

Monday, April 11, 2016



चाँदनी


चाँदनी लहर पर उतरी पूछो ;
संग किसके कहाँ चली पूछो ?

शब भर लहरों पर सोकर के ;
सहर को कहाँ गुम हुई पूछो ? 

जानकर भी बनी बडी नादां ;
मानो खुद को खोजती पूछो ?

छुअन कैसी हल्की नरम सी है ? 
शोखियाँ लहरों की हुई पूछो , ,,,

चाँद में थी कुछ तल्खियाँ लेकिन ;
होकर पुरनूर क्यों घुली पूछो ?...तनुजा ''तनु ''




No comments:

Post a Comment