चाँदनी
चाँदनी लहर पर उतरी पूछो ;
संग किसके कहाँ चली पूछो ?
शब भर लहरों पर सोकर के ;
सहर को कहाँ गुम हुई पूछो ?
जानकर भी बनी बडी नादां ;
मानो खुद को खोजती पूछो ?
छुअन कैसी हल्की नरम सी है ?
शोखियाँ लहरों की हुई पूछो , ,,,
चाँद में थी कुछ तल्खियाँ लेकिन ;
होकर पुरनूर क्यों घुली पूछो ?...तनुजा ''तनु ''
No comments:
Post a Comment